Thursday, July 20, 2017

सरल योग ही आत्म ज्ञान प्राप्त करने का सर्वश्रेष्ठ मार्ग है।

अनादि काल से सरल योग ही आत्म ज्ञान प्राप्ति का सर्वश्रेष्ठ मार्ग रहा है। योग शब्द का अर्थ होता है, मेल, संयोग, संगति, प्रेम, जोड़, उपाय, युक्ति, तप और ध्यान, वैराग्य, मोक्ष के उपाय, प्रयोग तथा नियम, चित्त की चंचलता को रोकना, गंभीर भाव चिंतन, मन का संकेंद्रीकरण, परमातम चिंतन, परमात्मा की पवित्र खोज इत्यादि।

योग की पूर्णता तब होती है, जब मानव आत्मा पूर्ण रूप से परमात्मा से मिल जाती है और इस प्रकार आत्मा - परमात्मा का मेल होने पर मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। मोक्ष ही मानव जीवन का सर्वश्रेष्ठ लक्ष्य है। मोक्ष से बढ़कर जीवन की उपयोगिता और कुछ भी नहीं है।

योग की सर्वाधिक उपयुक्त परिभाषा है, मन का शून्य हो जाना, परन्तु मन की शून्यता तो नींद में भी प्राप्त हो जाती है, तो क्या नींद को हम योग कह सकते हैं? उत्तर है - नहीं। नींद जीव की तमोगुणी अवस्था है। जिसे हम मन की शून्यता कहते हैं, वह जागृत अवस्था में योगी को प्राप्त होती है तथा जिसे समाधि कहा जाता है। जागृत समाधि में मन परम चेतना से संपर्क करके दिव्य विचारों को ग्रहण करता है, जिसके कारण योगी का ज्ञान अलौकिक हो जाता है।

सरल योग मोक्ष के उपायों में सर्वश्रेष्ठ है। जिसमें बिना ही किसी विशेष हठ पूर्ण क्रिया के तथा बिना ही किसी काया क्लेश अथवा दुःखपूर्ण और हिंसात्मक साधना के ही मोक्ष का परम लाभ होता है। सरल योग का आचरण करने वाले पर परमेश्वर सदैव प्रसन्न रहते हैं और योगी का उद्धार निश्चित रुप से कर देते हैं।

सरल योग में किसी प्रकार की हानि की संभावना नहीं होती, परंतु इसके लाभ ही लाभ होते हैं। जैसे, योगी का जीवन पवित्र हो जाना, वंदनीय हो जाना, देवताओं से संपर्क करना, दिव्य शक्तियों की प्राप्ति कर लेना, सत्य धर्म की रक्षा होना तथा मोक्ष की प्राप्ति हो जाना। इसलिए प्रत्येक जीव को सत्य धर्म का पालन करते हुए, सरल योग साधना द्वारा मोक्ष रूपी फल को अवश्य प्राप्त करना चाहिए।

परमहंस जिदानन्द

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Paramhans Jiddanand