Thursday, September 28, 2023

Who invented Satya Dharma?

Who invented Satya Dharma?
The concept of Satya Dharma, which translates to the path of truth or righteousness, is deeply rooted in ancient Indian philosophy and spirituality. It is important to note that Satya Dharma is not attributed to any specific individual but rather has been an integral part of the Indian philosophical traditions for centuries.
Within Indian philosophy, Satya Dharma is considered to be an eternal concept that guides individuals on how to lead a virtuous and ethical life. It emphasizes the importance of truth, integrity, and moral values in all aspects of life.
While various spiritual leaders, philosophers, and scholars have contributed to the understanding and interpretation of Satya Dharma throughout history, it is not accurate to attribute its invention to any single person. Instead, the concept has evolved over time through the teachings and practices of different religious and philosophical traditions in India.
Overall, Satya Dharma is a profound concept that has shaped the moral fabric of Indian society for centuries, and its origins lie within the collective wisdom and teachings of numerous scholars and spiritual leaders.


Paramhans Jiddanand

Friday, December 8, 2017

आत्म दर्शन पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है।

आत्मा का दर्शन करना ही जीवन का परम लक्ष्य है। परन्तु यह आत्मा का दर्शन करना तथा ज्ञान होना इत्यादि बहुत ही कठिन है, और यह आसानी से न समझ में आने वाला होता है। आत्मा का ज्ञान जिन्हें प्राप्त है तथा उनके द्वारा जैसा कहा गया है, वैसा ही अनुभव योग समाधि के द्वारा होता है। इसे सभी अनुभव कर सकते हैं, यदि मार्ग उचित और भक्ति सच्ची हो तो। मेरा व्यक्तिगत अनुभव प्रस्तुत लेख से भिन्न नहीं है।

अतः मैं अपने व्यक्तिगत शब्दों का प्रयोग न करके, ईश्वर श्री कृष्ण, अन्य गणमान्य महापुरुषों तथा प्रमाणित शास्त्रों के शब्दों के द्वारा ही इस विषय का यथाशक्ति वर्णन करूँगा। क्योंकि इस दुर्विज्ञेय विषय में मिथ्या वर्णन की संपूर्ण संभावना है, इसलिए मैं केवल सर्वश्रेष्ठ शास्त्रों में उपलब्ध प्रवचनों को ही क्रमबद्ध करके वर्णन करने में ही अपना स्वयं का तथा विश्व का भी हित समझता हूं।

प्रस्तुत इस लेख में आत्मा शब्द की व्युत्पत्ति, उद्भव, विकास एवं प्रयोग तथा आत्मा की परिभाषा, आत्मा की जिज्ञासा का आदेश, आत्म अज्ञता का कारण एवं फल, अज्ञानी की निन्दा, आत्मज्ञान के विषय में वेद की असमर्थता, आत्मज्ञान के लिए प्रेरणा, आत्मज्ञान का उपाय, आत्मज्ञान का विस्तार पूर्वक वर्णन, जीवात्मा का स्वरूप, परमात्मा का स्वरूप, आत्मयज्ञ एवं आत्मज्ञान का फल आदि विषयों का विशद विवरण संदर्भ सहित किया गया है।

परमहंस जिदानन्द

अक्टूबर १८, २०१७.

यह पुस्तक अमेज़न स्टोर में यहां उपलब्ध है।

Soul Philosophy Book published.

Acquiring the knowledge of the Soul is the ultimate goal of the life. But it is very hard to visualize the soul and to have knowledge, and it is not easy enough to understand. The knowledge of the Soul which is received and as told by predecessors, is the same experience experienced by Yoga Samadhi. All of the humans can experience it, if the path is fair and devotion is true. My personal experience is no different than the present article.

Therefore, instead of using my personal words, I will describe the precision of this subject only by the words of God Shri Krishna, other greatly reknowned personalities and authenticated Holy Scriptures. Because there is a complete possibility of misinterpretation in this misdemeanor, therefore I only consider the interest of my own and the world in order to sort out the discourses available only in the best Holy Scriptures.

In this presentation the derivation, emergence, development and experiment of the word 'Soul', the definition of Soul, the order of the soul's inquiries, the cause and the consequence of self-ignorance, the condemnation of the ignorant, the inability of the Vedas about enlightenment, the inspiration for enlightenment, the enlightenment Measures, detailed description of the enlightenment, the nature of the Soul, the nature of the God, the power of Self-Knowledge and the enlightenment etc. Is including allowances.

Paramhans Jiddanand
October 18, 2017

The book is available on Amazon market place.

Tuesday, October 31, 2017

सत्य धर्म मिशन - परिचय पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है।

सत्य धर्म मिशन के द्वारा प्रस्तुत कार्य का यह अंक मुख्यतया सत्य धर्म मिशन के परिचय से संबंधित है, परंतु इसमें सत्य धर्म का भी विस्तृत समावेश किया गया है। सत्य धर्म क्या है? सत्य धर्म का उद्देश्य क्या है? तथा इसके क्या लाभ हैं? इत्यादि प्रश्नों के उत्तर के अतिरिक्त, सत्य धर्म की मुख्य एवं सामान्य शिक्षाओं का भी वर्णन किया गया है।

इस अंक में मानव जीवन के उद्देश्य एवं लक्ष्य का वर्णन करने के साथ ही साथ, मानव जीवन के उद्देश्य एवं लक्ष्य की प्राप्ति के उपायों का वर्णन भी किया गया है। सत्य धर्म के मूलभूत सिद्धांतों का वर्णन संक्षिप्त रुप से करते हुए, ईश्वर के स्वरूप का भी निरूपण किया गया है। समाज की मूलभूत धार्मिक समस्याओं का समालोचनात्मक वर्णन करते हुए, इन समस्याओं के समाधान के लिए उपयुक्त परामर्श भी दिया गया है।

प्रस्तुत इस अंक में, धर्म शब्द की व्युत्पत्ति, अर्थ तथा परिभाषा का उचित समावेश भी किया गया है। इसके अतिरिक्त इस अंक में मानव जीवन में धर्म के महत्व एवं लक्षणात्मक विवेचन का संयोजन भी उपस्थित है। सत्य धर्म की मानव जीवन में उपयोगिता, मानव जीवन का लक्ष्य तथा सत्य धर्म के द्वारा मानव जीवन के लक्ष्य की प्राप्ति का वर्णन करते हुए, धर्म शास्त्रों में सुख के स्रोत साधन एवं फल का निरूपण भी किया गया है।

प्रस्तुत इस अंक में सुख का मूल सत्य धर्म ही है, इस तथ्य का स्पष्टीकरण किया गया है, और सत्य धर्म ही मानव धर्म है, इस सिद्धांत का प्रतिपादन करते हुए, प्रस्तुत अंक को संपूर्णता प्रदान की गई है।

परमहंस जिदानन्द

अक्टूबर १२, २०१७.

भारत।

Sunday, August 20, 2017

सत्य धर्म प्रकाश पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है।

शीर्षक "सत्य धर्म प्रकाश" के तहत प्रस्तुत यह कार्य मानव समाज की जागृति, पृथ्वी पर सत्य धर्म के ज्ञान और प्रसार की प्रगति के लिए है। प्रस्तुत पुस्तक का शीर्षक एक उत्तरदायी तरीके से धार्मिक आदेशों का वर्णन करता है तथा इसमें सरल रूप में और अधिक सुगम हिंदी भाषा का प्रयोग किया गया है, यहां उत्तर-पश्चिम भारतीय क्षेत्र में स्थानीय लोगों तक पहुंचने के लिए, जहां मेरा जन्म हुआ और वर्तमान में उसी के लिए काम किया जाता है। यह पुस्तक गैर-प्रतिकूल तरीके से लिखी गई है, बिना किसी आलोचनात्मक या पूर्व मौजूदा विश्व के धार्मिक आदेशों और मौजूदा विश्व के धर्मों के संदर्भ में। यह पुस्तक सत्य धर्म को स्पष्ट करने के लिए एक दृष्टिकोण है जैसा कि सत्य धर्म मिशन द्वारा व्यक्त किया गया है। इस पुस्तक में सच्चे धर्म की व्याख्या की गई है और इसकी आवश्यकताएं और प्रयोज्यता के साथ ही इसकी नींव के आधारभूत स्तंभ भी शामिल हैं। इस पुस्तक में व्यापक रूप से उन योग मार्गों की विस्तृत जानकारी शामिल है जो एक योगी की यात्रा या सच्चे धर्म के भक्त के दौरान हो सकते हैं। पुस्तक में ध्यान, योग, तपस्या, ईश्वर और प्रासंगिकता और रूचि के कई सहयोगी बिंदुओं पर विस्तृत जानकारी और निर्देश शामिल हैं। इस पुस्तक के रूप में सत्य धर्म मिशन द्वारा व्याख्या किये गये उपदेशों को समझना और अनुसरण करना बहुत आसान है। सत्य धर्म की सारी सृष्टि का मुख्य उद्देश्य सभी प्राणियों को खुशी प्रदान करना है और भक्तों या अनुयायियों को मुक्ति प्रदान करना और अनुनय है। सत्य धर्म मिशन द्वारा प्रतिपादित इन अध्यायों का पालन करके, यह आशा है कि व्यक्ति या समाज इस मानव जीवन में मानव होने के अपने अंतिम उद्देश्य को प्राप्त करने में सक्षम हो जाएगा।
यह पुस्तक यहां उपलब्ध है।

परमहंस जिदानंद
भारत।
अगस्त २०, २०१७.